लोगों की राय
ऐतिहासिक >>
पहला सूरज
पहला सूरज
प्रकाशक :
राजपाल प्रकाशन |
प्रकाशित वर्ष : 2004 |
पृष्ठ :100
मुखपृष्ठ :
पेपरबैक
|
पुस्तक क्रमांक : 2032
|
आईएसबीएन :81-7315-371-x |
|
7 पाठकों को प्रिय
259 पाठक हैं
|
वीरवर शिवाजी की शौर्य-गाथा अत्यंत रोचक उपन्यास के रूप में...
Pehla Suraj (Bhagwatisharan Mishra)
विश्व-इतिहास में कभी ही कोई ऐसा व्यक्तित्व उभरता है जो समय की शिला पर अपना नाम अमिट कर जाता है। ऐसे ही थे मराठा-योद्धा, मानवता के सिरमौर छत्रपति शिवाजी। भारतीय जब विदेशियों की दासता के कारण अपनी संस्कृति, अपनी अस्मिता और अपनी पहचान तक खो चुके थे, जब चारों ओर निराशा का अंधकार छा रहा था, तब भारत के राजनैतिक क्षितिज पर एक प्रकाश-पुंज प्रकट हुआ जिसने भारत में नई चेतना, नव जागरण का संदेश फैलाया।
‘पहला सूरज’ उन्हीं महामानव, वीरवर शिवाजी की शौर्य-गाथा है अत्यंत रोचक उपन्यास के रूप में।
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai